
SIT formed: कर्नाटक में एसआईटी के ऐसे धुरंधरों को लगा दिया गया है, जिनका मुकाबला कर पाना चुनाव आयोग के लिए कठिन हो जाएगा।
SIT formed: मतदाता सूची में गड़बड़ी के आरोपों से मचा राजनीतिक तूफान
इंफोपोस्ट डेस्क
बेंगलुरु। SIT formed: कर्नाटक में मतदाता सूची से जुड़ी कथित गड़बड़ियों और “वोट चोरी” के आरोपों ने राजनीतिक हलचल तेज कर दी है। बढ़ते विवाद और विपक्षी दलों के दबाव के बीच राज्य सरकार ने एक विशेष जांच दल (SIT) गठित करने का फैसला लिया है। सरकार का कहना है कि यह कदम लोकतांत्रिक व्यवस्था में पारदर्शिता और जनता के भरोसे को बनाए रखने के लिए अनिवार्य है।
विपक्षी दलों और नागरिक संगठनों का आरोप है कि मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर फर्जी नाम जोड़े गए हैं। वहीं कई वास्तविक मतदाताओं के नाम बिना किसी ठोस कारण के हटा दिए गए। आशंका जताई जा रही है कि यह हेरफेर चुनावी परिणामों को प्रभावित करने के इरादे से किया गया। सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे को लेकर व्यापक चर्चा हो रही है और आम मतदाता चिंतित हैं कि कहीं उनके मताधिकार से खिलवाड़ तो नहीं हो रहा।
गठित SIT में वरिष्ठ पुलिस अधिकारी, साइबर विशेषज्ञ और चुनावी कानून के जानकार शामिल किए गए हैं। टीम को आदेश दिया गया है कि वह मतदाता सूची का गहन विश्लेषण करे और यह जांचे कि किन प्रक्रियाओं का उल्लंघन कर फर्जी नाम जोड़े गए। SIT यह भी पता लगाएगी कि किस स्तर पर लापरवाही हुई और क्या इसमें राजनीतिक हस्तक्षेप की भूमिका रही।
राजनीतिक बयानबाजी तेज
जांच दल को तय समय सीमा के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी। रिपोर्ट के आधार पर दोषियों के खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इस मामले ने राजनीतिक तापमान और बढ़ा दिया है। विपक्ष का कहना है कि गड़बड़ी सत्तारूढ़ दल की मिलीभगत के बिना संभव ही नहीं है। कुछ नेताओं ने आरोप लगाया कि SIT महज “दिखावा” बनकर न रह जाए।
वहीं सरकार ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि लोकतांत्रिक मूल्यों से कोई समझौता नहीं होगा। सत्तारूढ़ पक्ष ने भरोसा दिलाया कि जांच पूरी तरह पारदर्शी होगी और दोषी चाहे कोई भी हो, उसे बख्शा नहीं जाएगा।
जनता की चिंता और चुनाव आयोग की भूमिका
वोट चोरी के आरोपों से आम जनता भी असमंजस में है। बड़ी संख्या में लोग अब चुनाव आयोग की वेबसाइट और हेल्पलाइन पर जाकर अपने नाम की स्थिति जांच रहे हैं। चुनाव आयोग ने SIT को हर संभव सहयोग देने का आश्वासन दिया है। आयोग का कहना है कि मतदाता सूची की पवित्रता बनाए रखना उसकी प्राथमिक जिम्मेदारी है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि जांच में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी साबित होती है तो यह लोकतांत्रिक ढांचे के लिए गंभीर चुनौती होगी। इससे न केवल दोषियों को सजा मिलेगी बल्कि भविष्य की चुनावी प्रक्रियाओं को और मजबूत करने की दिशा में भी ठोस कदम उठाए जाएंगे।
निष्कर्ष
कर्नाटक में गठित SIT की रिपोर्ट न केवल इस विवाद का समाधान करेगी बल्कि यह तय करेगी कि लोकतंत्र की नींव कितनी मजबूत बनी रहती है। जनता की नजरें अब इस जांच पर टिकी हैं और सभी को उम्मीद है कि सच सामने आएगा तथा मतदाता अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित होगी।