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भारत में आर्थिक असंतुलन बहुत है अमीर कम और गरीब बहुत ज्यादा है। भारत को अब ऐसा अर्थशास्त्री चाहिए जो इस असंतुलन को दूर करें।
कई देशों में है बेहतर मजदूरी
अशोक मेहता, इंदौर (लेखक, पत्रकार, पर्यावरणविद्)
एक यूनाइटेड स्टेट डॉलर के लिए हमें 85.40 रुपए देने पड़ते हैं। अमेरिका में श्रमिक का न्यूनतम वेजेस 5000 से ₹6000 से लेकर 15 से 16000 रुपए प्रतिदिन है।1 दिन में 8 घंटे और एक सप्ताह में 40 घंटे काम करना होता है और हमारे यहां 8 घंटे प्रतिदिन और एक सप्ताह में 48 घंटे काम करते हैं। भारत में मिनिमम वेजेस श्रमिक के लिए ₹600 से ₹1000 प्रतिदिन है। किसी भी देश की मजदूरी दर उस देश की सम्पन्नता को दर्शाता है। कतर दुनिया का सबसे अमीर देश है यहां श्रमिक की न्यूनतम आय प्रति व्यक्ति आय सवा लाख डॉलर सालाना है।
प्रति व्यक्ति पर बहुत है कर्ज
यह सही है कि भारत से भी गरीब कई देश है पर हम भारतवासी अपनी स्थिति का आंकलन करेगे।
भारत की आबादी यदि 142 करोड़ मानी जाय तो हमारे ऊपर प्रति व्यक्ति कर्ज करीब 140000 रुपए है। रुपए की स्थिति मजबूत नहीं है और हम पर प्रति व्यक्ति कर्ज भी बहुत है। आय की दर को बढाकर समग्र आर्थिक विकास के साथ ही कर्ज को कम किया जा सकता है। सरकार को इसके लिए बहुत ही ठोस नीति बनाने की आवश्यकता है।
बढ़ रहा है आर्थिक असंतुलन
अब आर्थिक संतुलन की बात यदि करें तो आंकड़ों अनुसार 142 करोड़ की आबादी वाले भारत में करीब 334 अरबपति हैं और 35 करोड़ आबादी वाले अमेरिका में 735 अरबपति हैं। इसका यही अर्थ है कि भारत में आर्थिक असंतुलन बहुत है अमीर कम और गरीब बहुत ज्यादा है। भारत को अब ऐसा अर्थशास्त्री चाहिए जो इस असंतुलन को दूर कर सके। एक तरफ जहां अमीर लोग और अमीर होते जा रहे हैं वहीं दूसरी ओर गरीबी भी बढ रही है जो किसी भी अर्थव्यवस्था के लिए उचित नहीं है।