यदि कोई व्यक्ति 5 रुपये के सिक्के को पिघलाकर 5 ब्लेड बनाता है, और बाद में उन्हें 2 रुपये प्रति ब्लेड (कुल 10 रुपये कमाता है) में बेचता है, तो सिक्के में धातु का आंतरिक मूल्य उसके मौद्रिक मूल्य से अधिक हो जाता है।
इन्फोपोस्ट न्यूज
देशभर में चर्चा का विषय है कि पांच रुपये का सिक्का अब बंद हो सकता है। सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने इस पर गंभीरता से विचार करना शुरू कर दिया है। वर्तमान में बाजार में पांच रुपये के दो प्रकार के सिक्के चलन में हैं- एक पीतल का और दूसरा मोटे धातु का। देश में अब तक कई बार ऐसा देखने को मिला है, जब सिक्के और नोट बंद किए गए 2016 में 500 और 1000 रुपये के नोट बंद कर दिए गए थे। पिछले साल रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने 2000 के नोट भी बंद कर दिए थे। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इसी तरह 5 रुपये के सिक्के को लेकर भी बैंक ने बड़ा फैसला लिया है।
जाने कैसे बढ़ जाती है करेंसी की लागत
एक नियम के अनुसार, अगर करेंसी की लागत उसके अंकित मूल्य से अधिक हो जाती है, तो उन सिक्कों या नोटों को प्रचलन से हटा दिया जाता है। उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति 5 रुपये के सिक्के को पिघलाकर 5 ब्लेड बनाता है, और बाद में उन्हें 2 रुपये प्रति ब्लेड (कुल 10 रुपये कमाता है) में बेचता है, तो सिक्के में धातु का आंतरिक मूल्य उसके मौद्रिक मूल्य से अधिक हो जाता है। यह इस कारण से है, अन्य कारणों के अलावा, कि RBI ने कुछ खास सिक्कों, जैसे कि मोटे पांच रुपये के सिक्के के उत्पादन को रोकने का फैसला किया।
बांग्लादेश में भी बढ़ गई थी तस्करी
ज्यादा मेटल होने की वजह से इन सिक्कों को बांग्लादेश में गलत तरीकों से स्मगल किया जाने लगा। दरअसल, वहां इन सिक्कों को पिघलाकर इनकी मेटल से ब्लेड बनाया जाने लगा। एक सिक्के से 6 ब्लेड बन जाती थी और एक ब्लेड 2 रुपये में बिकती थी। इस तरह एक 5 रुपये के सिक्के को पिघलाकर उससे ब्लेड बनाकर 12 रुपये में बेचा जा सकता था। इस तरह वहां के लोगों को काफी फायदा होता था।
इन समस्याओं को देखते हुए, RBI ने 5 रुपये के सिक्के का डिज़ाइन और मेटल में बदलाव किया। अब बाज़ार में केवल ब्रास के 5 रुपये के सिक्के ही मिलते हैं।
चलते रहेंगे पुराने सिक्के
यहां आपको यह भी बता दे कि पुराने सिक्के भले ही आरबीआई ने बनाना बंद कर दिया हो पर बाजार में मौजूद पुराने सिक्के अभी भी चलते रहेंगे।