Uttar Pradesh: संभल में जिला प्रशासन ने 10 दिसंबर तक बाहरी लोगों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है। यह कदम शाही जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हुई हिंसा और उसके बाद सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद जिला प्रशासन ने उठाया। उधर, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने संभल हिंसा में मारे गए लोगों के परिजनों को पांच-पांच लाख रुपये देने की घोषणा की है।
Uttar Pradesh: अब 10 दिसंबर तक संभल नहीं जा पाएंगे बाहरी
इंफोपोस्ट डेस्क
Uttar Pradesh: यूपी के संभल में हुई हिंसा पर राजनीति का भी खेल शुरू हो गया है। एक तरफ बाहरी लोगों के संभल पहुंचने पर रोक लगा दी गई है तो दूसरी ओर संभल हिंसा में मारे गए लोगों के परिजनों को समाजवादी पार्टी पांच-पांच लाख रुपये की आर्थिक मदद करने के लिए आगे आ गई है।
सांसद रुचि वीरा ने बताया कि मृतकों के परिजन के साथ पार्टी की संवेदनाएं हैं। सपा मुखिया अखिलेश यादव ने परिजन की मदद करने की घोषणा की है। सहायता राशि परिजन को जल्द ही उपलब्ध कराई जाएगी। यही नहीं, समाजवादी पार्टी की मांग है कि सरकार मृतकों के परिजन को एक-एक करोड़ रुपये की आर्थिक मदद करे।
हिंसा में हुई थी पांच लोगों की मौत
बताते चलें कि पिछले 24 नवंबर को मस्जिद सर्वे के दौरान संभल में बवाल हो गया था। इसमें पांच लोगों की मौत हो गई थी। कई लोग घायल हुए थे। यहां तक कि डिप्टी एसपी के पैर में गोली लगने से वह घायल हो गए थे। इसके बाद से स्थिति तवनाव पूर्ण है। दूसरी तरफ मामले में राजनीति भी खूब हो रही है। प्रशासन के मुताबिक़, उसने जिले में बेहतर क़ानून-व्यवस्था बनाए रखने के मद्देनज़र बाहरी लोगों के प्रवेश पर रोक लगाई है।
तभी तो जिला प्रशासन ने संभल आ रहे समाजवादी पार्टी के 15 सदस्यीय दल में शामिल नेताओं और कार्यकर्ताओं को रोक दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को संभल की शाही जामा मस्जिद कमेटी की याचिका पर सुनवाई करते हुए उत्तर प्रदेश पुलिस और संभल जिले से पूरी तरह तटस्थ रह कर शांति बहाल करने का निर्देश दिया था।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद प्रशासन सख्त
सुप्रीम कोर्ट के कड़े निर्देश के बाद शनिवार को संभल प्रशासन ने अपना रुख़ सख़्त किया और 10 दिसंबर तक यहां बाहरी लोगों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया। संभल के जिलाधिकारी राजेंद्र पेन्सिया ने कहा कि जिले में शांति और क़ानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 163 के तहत जारी आदेश की अवधि 31 दिसंबर तक के लिए बढ़ा दी गई है।
उन्होंने कहा, जिले में 10 दिसंबर तक प्रतिबंधात्मक आदेश जारी रहेंगे, जिसके तहत जिले में बगै़र अनुमति के किसी भी बाहरी व्यक्ति, सामाजिक संगठन और जन प्रतिनिधि को प्रवेश की इज़ाज़त नहीं है। प्रशासन ने शांति और क़ानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए उठाए गए कदमों के तहत ही शनिवार को संभल आ रहे समाजवादी पार्टी के कई नेताओं को रास्ते में ही रोक दिया।
अखिलेश यादव को संभल प्रशासन के कदम पर आपत्ति
समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने संभल प्रशासन के इस कदम पर कड़ा एतराज़ जताते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ऐसा प्रतिबंध अगर सरकार पहले ही उन पर लगा देती, जिन्होंने दंगा-फ़साद का सपना देखा और उन्मादी नारे लगवाए तो संभल में सौहार्द-शांति का वातावरण नहीं बिगड़ता। संभल में ऊपर से लेकर नीचे तक का पूरा प्रशासनिक मंडल निलंबित करके उन पर साज़िश के तहत लापरवाही के आरोप में सच्ची कार्रवाई की जाए और उन्हें बर्खास्त किया जाए।
किसी की जान लेने का मुक़दमा भी चलना चाहिए। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़, संभल जा रहे पार्टी नेताओं के दल का नेतृत्व कर रहे विपक्ष के नेता माता प्रसाद पांडे ने लखनऊ में अपने घर के बाहर पत्रकारों को बताया कि गृह सचिव संजय प्रसाद ने उन्हें फोन कर संभल न जाने को कहा था। संभल जाने से रोके जाने पर पार्टी के प्रवक्ता हरेंद्र मलिक ने कहा, हमें ये समझ नहीं आ रहा है कि पार्टी नेताओं को संभल जाने से क्यों रोका जा रहा है? क्या विपक्ष के नेता और सांसद इतने गै़र जिम्मेदार हैं कि उन्हें राज्य में कहीं जाने की इज़ाज़त नहीं दी जा सकती?
आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू
Uttar Pradesh: समाजवादी पार्टी के नेताओं को संभल जाने के रास्ते में रोके जाने पर पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव के बयान और इसे लेकर पार्टी नेताओं की टिप्पणी के बाद विपक्ष और सरकार के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज़ हो गया है। उप मुख्यंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि समाजवादी पार्टी के लोग संभल को ‘राजनीतिक पर्यटन’ समझ रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने मस्जिद के मामले में सिविल कोर्ट को सुनवाई रोकने का आदेश दिया। बेंच ने ये भी कहा कि सिविल कोर्ट की सर्वे रिपोर्ट सीलबंद कवर में रखी जाए। संभल मस्जिद कमेटी के लिए इस मामले में कई क़ानूनी विकल्प मौजूद हैं। कमेटी पूरे मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट गई थी।