Jharkhand Chunav: कोडरमा विधानसभा क्षेत्र के सतगावां प्रखंड के अंतर्गत कोठियार पंचायत के कानीकेंद, रतनपुर, बैशखी और सेठवा गांव के लोगों ने मूलभूत सुविधाएं न मिलने पर मतदान का बहिष्कार कर दिया। इसलिए रतनपुर स्थित बूथ संख्या 70 पर दोपहर दो बजे तक एक भी वोट नहीं पड़ा। अंत में प्रशासन की पहल पर लोग वोट डालने को तैयार हुए।
Jharkhand Chunav: मान-मनौव्वल पर दो बजे के बाद हुई वोटिंग
इंफोपोस्ट डेस्क
Jharkhand Chunav: झारखंड विधानसभा चुनाव के प्रथम चरण में 13 नवंबर को प्रदेश के 43 सीटों पर वोट डाले गए। लेकिन सुदूरवर्ती प्रखंड सतगावां में एक बूथ ऐसा भी रहा जहां दोपहर दो बजे तक एक भी वोटर नहीं पहुंचा। इस क्षेत्र में विकास कार्य न होने से लोगों ने मतदान का बहिष्कार कर दिया था।
प्रशासनिक हस्तक्षेप के बाद मतदान की प्रक्रिया शुरू होने के सात घंटे के बाद ही लोग मतदान करने के लिए तैयार हुए। और अपने मताधिकार का प्रयोग किया। इससे पहले चुनाव को लेकर निर्वाचन आयोग और जिला प्रशासन ने लोगों को मतदान के प्रति जागरूक किया गया था। इसलिए बुधवार को कोडरमा में सुबह से ही मतदान को लेकर लोग काफी उत्साहित दिखे थे।
प्रशासन ने मतदाताओं को मतदान केंद्र पहुंचाया
कोडरमा विधानसभा क्षेत्र के सतगावां प्रखंड अंतर्गत कोठियार पंचायत के रतनपुर स्थित बूथ संख्या 70 पर उपायुक्त के निर्देश पर बीडीओ ओमप्रकाश बड़ाईक, सीओ केशव प्रसाद चौधरी और थाना प्रभारी विजय गुप्ता ने ग्रामीणों को समझा-बुझाकर मतदान करने का आग्रह किया। लेकिन दोपहर दो बजे तक ग्रामीणों का मतदान बहिष्कार जारी रहा। कई बार अधिकारियों ने वार्ता की तो ग्रामीण मतदान के लिए तैयार हुए। प्रशासन के स्तर पर मतदाताओं को वाहन के जरिये मतदान केंद्र तक लाया गया।
सतगावां बीडीओ ओमप्रकाश बड़ाईक ने लोकल 18 को बताया कि प्रशासनिक पहल पर कोठियार पंचायत के कानीकेंद, रतनपुर, बैशखी, सेठवा गांव के वोटरों ने रतनपुर स्थित पोलिंग बूथ संख्या 70 पर मताधिकार का प्रयोग किया। इस बूथ पर 52 प्रतिशत वोटिंग हुई। वहीं, जिला प्रशासन की ओर से जारी आंकड़े के अनुसार शाम पांच बजे तक कोडरमा जिले में कुल 62.15 प्रतिशत मत पड़े।
क्षेत्र में सड़क, बिजली और पानी का अभाव
इलाके के लोगों ने बताया कि देश की आजादी के 77 वर्ष के बाद आज भी उनके इलाके में मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है। सुदूरवर्ती गांव कानीकेंद, रतनपुर, बैशखी व सेठवा में करीब 120 परिवार रह रहे हैं। इनमें से ज्यादातर मजदूरी कर जीवन यापन करते हैं।
यहां कुल 368 मतदाता हैं। प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से कई बार सडक़, पानी, बिजली सहित अन्य मूलभूत सुविधाओं की मांग करने के बाद भी कोई कदम नहीं उठाया गया। ऐसे में लोगों को बिना सड़क के घने जंगलों में रहना पड़ रहा है। बिना रोशनी के रात गुजारनी पड़ती है। खुले आहर से पानी लाकर प्यास बुझाते हैं। छात्र-छात्राओं को सात किलोमीटर दूर उच्च विद्यालय जाना पड़ता है।